किसान आंदोलन : दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में 53 लाशें गिराने वालों को करो रिहा- धरने पर बैठे किसान नेताओं की माँग, दिखने लगा शहरी नक्सलियों का नेक्सस

न्यूज़ डेस्क। दिल्ली में चल रहे किसान कानूनों के विरोध में कथित किसान आंदोलन को गैर-राजनीतिक होने के दावों के विपरीत, भारतीय किसान यूनियन (BKU उगराह) ने मानवाधिकार दिवस पर बृहस्पतिवार (दिसंबर 10, 2020) को माओवादी-नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए कई आरोपितों की रिहाई की माँग की है।

‘इन्डियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें जिन लोगों की रिहाई की माँग की गई है, उसमें शामिल यूएपीए के तहत बुक किए गए असम को भारत से काटने की बात करने वाले शरजील इमाम, उमर खालिद, गौतम नवलखा, पी वरवरा राव, वर्नन गोंज़ाल्वेस, अरुण फरेरा और कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज सहित 20 से अधिक आरोपितों की तस्वीरें टिकरी सीमा के पास एक मंच पर लगाई जाएँगी। बताया जा रहा है कि कई मानवाधिकार समूहों के भी इसमें भाग लेने की उम्मीद है।

एक ट्विटर यूजर ने धरने पर बैठे किसानों का एक वीडियो भी ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है कि जो लोग इस तस्वीर को फेक बता रहे थे उन्हें यह वीडियो देखना चाहिए।

वहीं, बीकेयू (उगराह) के वकील और समन्वयक एनके जीत ने कहा कि यह पहले दिन से ही उनकी माँग रही है कि जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कहा है कि शहरी नक्सलियों, कॉन्ग्रेस और खालिस्तानियों द्वारा कृषि आंदोलन को भड़काया गया है। एनके जीत ने कहा कि शहरी नक्सल लोगों पर मुकदमा चलाने का यह एक बहाना है और पंजाब में लोगों को स्टेट टेररिज्म और आतंकवादियों के बीच फंसाया जाता है जबकि नक्सलवाद ने आदिवासी लोगों को उनके अधिकार दिलाने में मदद की है।”

अपनी माँगों पर अडिग रहकर केंद्र द्वारा पेश 20 पेज के प्रस्ताव को किसान संघों ने बुधवार को खारिज कर दिया है। किसानों ने दिल्ली की ओर जाने वाले राजमार्गों को अवरुद्ध करके अपने आंदोलन को तेज करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को भाजपा नेताओं, मंत्रियों और कार्यालयों के आवासों को घेरा जाएगा, और देश भर के जिला मुख्यालयों पर धरने होंगे। इस के साथ ही दक्षिणी राज्यों में विरोध अनिश्चित काल तक जारी रहेगा।

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में ही दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में 53 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें कई कथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अर्बन नक्सल समूहों पर दंगा भड़काने का आरोप भी लगा है। ऐसे समूहों के कुछ लोगों को जनता को गुमराह करने और सड़क पर उतरकर दंगा करने के लिए उकसाने के आरोप के तहत UAPA गिरफ्तार किया गया है।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.