ग्वालियर: गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में भूत का खौफ! रिकॉर्ड रूम में भटकती है क्लर्क की आत्मा

ग्वालियर। RTI का जवाब देने में आनाकानी करना सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई नई बात नहीं है। लेकिन, ग्वालियर के ऐतिहासिक गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में जिस तरह से जानकारी छिपाई जा रही है, वह गले से नहीं उतरती। अब वहां पर भूतों और आत्माओं की मौजूदगी का हवाला देकर आरटीआई की जानकारी देने में टाल-मटोल किया जा रहा है। हालांकि, विवाद बढ़ने पर डीन ने भरोसा जरूर दिया है, लेकिन बहानेबाजी की यह कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। बीते तीन साल से लोग इसी तरह की बातें सुनकर जानकारी जुटाने के लिए दर-दर की चक्कर काटने को मजबूर हो चुके हैं।

क्या ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में MBBS एडमिशन की प्रक्रिया में कोई धांधली हुई है ? इस सवाल की पड़ताल के लिए कुछ ऐक्टिविस्ट पिछले तीन साल मगजमारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका सही जवाब नहीं मिल पा रहा है। अब भूतों का डर बताया जाने लगा है, जिसके चलते मेडिकल कॉलेज खुद को आरटीआई का जवाब देने में अभी तक असमर्थ पा रहा है। दअरसल, कुछ ऐक्टिविस्ट को यह भनक लगी थी कि इस मेडिकल कॉलेज में डोमिसाइल कोटे में गैर-डोमिसाइल स्टूडेंट्स का फर्जी तरीके से दाखिला कराया गया है। लेकिन, सालों तक घुमाने के बाद अब यह कह दिया गया है कि रिकॉर्ड रूम का ताला नहीं खुल सकता, क्योंकि उसमें भूत घूमता है!

गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में MBBS एडमिशन प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हुई या नहीं इसका पता लगाने के लिए पंकज जैन नाम के हेल्थकेयर ऐक्टिविस्ट तीन वर्षों से कॉलेज से दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पहले वो बोले की दस्तावेज सीबीआई सीज कर चुकी है, फिर कहा कि जो क्लर्क उन्हें संभाल रहा था, उसे सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है। अब वो कह रहे हैं कि जहां ये दस्तावेज रखे गए थे उस रूम में क्लर्क ने सुसाइड कर ली थी और अब वहां उनकी आत्मा भटकती है, इसलिए वे ताला खोलने से डरते हैं।’ हालांकि, गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, ‘यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। मैं इसका पता लगाऊंगा ‘

पंकज जैन ने जीआरएमसी से दस्तावेजों का पता लगाने के लिए परेशान हुए दिल्ली के एक ऐक्टिविस्ट की बात बताई। उनके मुताबिक,’2018 के सितंबर में उन्होंने RTI के जरिए 1994 के एमबीबीएस बैच के एडमिशन रिकॉर्ड की मांग की थी। मेडिकल कॉलेज ने यह जानकारी देने से यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें 1994 के एमबीबीएस बैच में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।’ वो बोले कि ‘हमें पता चला है कि जीआरएमसी से स्टूडेंट के कई बैचों का रिकॉर्ड खो चुका है।’ जैन ने कहा है कि ‘उन्होंने राज्य सूचना आयोग से भी संपर्क किया, जहां चार बार सुनवाई हुई। लेकिन, जीआरएमसी ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है, बावजूद इसके कि वह हाई कोर्ट के सामने में भी इसके लिए तैयार हो चुका है।’ उनका कहना है कि ‘आयोग ने बिना कोई कार्रवाई किए जनवरी 2021 में शिकायत का निस्तारण कर दिया।’ गौरतलब है कि आरटीआई ऐक्ट और पब्लिक रिकॉर्ड ऐक्ट के अनुसार महत्वपूर्ण रिकॉर्ड का संरक्षण जरूरी है।

RTI का जवाब देने में आनाकानी करना सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की फितरत बन चुकी है। लेकिन, अब बहानेबाजी के लिए भूतों और भटकती आत्माओं का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सूचना के अधिकार का मजाक बनाने की तरह है। हैरानी तो तब होती है कि निचले स्तर के अफसरों और कर्मचारियों की हीलाहवाली की उच्च अफसरों को भनक तक नहीं रहती। क्योंकि, सूचना मांगना जनता का अधिकार है और उससे उन्हें किसी भी स्थिति में वंचित नहीं किया जा सकता। खासकर इस स्थिति में जब कई बार आरटीआई से ही बड़ी-बड़ी धांधलियां उजागर होती हैं।

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