छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को अगले पाँच वर्षों के लिए जारी रखने की मांग

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित बजट पूर्व बैठक में आम बजट को लेकर राज्य की उम्मीदें और राज्य के हितों से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे। विज्ञान भवन में आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई, कोल उत्खनन पर केंद्र के पास जमा राशि 4,140 करोड़ छत्तीसगढ़ को शीघ्र देने एवं नक्सल उन्मूलन के लिए तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर किये 15 हजार करोड़ के व्यय की प्रतिपूर्ति की मांग की। बैठक में अन्य राज्यों के वित्तमंत्री भी उपस्थित रहे।

बैठक में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोविड 19 के कारण आर्थिक गतिविधियों के बाधित होने से राज्यों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। केंद्र से मिलने वाली राशि प्राप्त होने पर राज्य सरकार विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं में व्यय कर सकेगी।

उन्होने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली से राज्यों को राजस्व की हानि हुई है, आगामी वर्ष में राज्य को लगभग 5000 करोड़ के राजस्व की हानि की भरपाई की व्यवस्था केंद्र द्वारा नहीं की गयी है, इसलिए जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के पश्चात भी आगामी 05 वर्षों के लिए जारी रखा जाये।

इसके साथ ही उन्होने कहा कि विगत 3 वर्षों के केन्द्रीय बजट में छतीसगढ़ को केन्द्रीय करों में हिस्से की राशि 13,089 करोड़ कम प्राप्त हुए हैं। आगामी बजट में केन्द्रीय करों के हिस्से की राशि पूर्णतः राज्य को दी जाये।

श्री बघेल ने कोल ब्लॉक कंपनियों से कोल उत्खनन पर 294 रुपये प्रति टन के मान से केंद्र के पास जमा राशि 4,140 करोड़ रूपए छत्तीसगढ़ को शीघ्र देने की मांग की। इसके साथ ही उन्होने कहा कि नक्सल उन्मूलन के लिए राज्य में तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर राज्य शासन का व्यय 15 हजार करोड़ हो चुका है। इसकी प्रतिपूर्ति के लिए अगले बजट में विशिष्ट प्रावधान किया जाये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल पर केन्द्रीय उत्पाद कर कटौती से राज्य के हिस्से की राशि में कमी एवं वैट से मिलने वाले राजस्व में भी कमी होगी इसलिए भविष्य में उत्पाद कर के स्थान पर उपकरों में कमी की जाए।

श्री बघेल ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में बेहतर क्रियान्वयन करने वाले राज्यों के लिए प्रति परिवार 1100 रुपये प्रीमियम की सीमा बढ़ाने की मांग की। उन्होने कहा इससे हितग्राहियों की संख्या बढ़ेगी और अधिकांश जनसंख्या को इसका लाभ मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत पात्र परिवार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत भी पात्र होने चाहिए।

बैठक में श्री बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना एवं जल जीवन मिशन में भी राज्यों की सहभागिता को कम कर केंद्र का अंश बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जाये।

श्री बघेल ने इसके अलावा केंद्रीय बजट में रायपुर में इन्टरनेशनल कार्गाे टर्मिनल, केन्द्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय का एक कैंपस, एनएमडीसी का मुख्यालय छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित करने, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का क्षेत्रीय कार्यालय राज्य में खोलने, नैक का क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर में खोलने एवं वोकल फॉर लोकल योजनांतर्गत स्थानीय उत्पादों के विपणन केन्द्र आदि के स्थापना की मांग भी रखी।

इसके साथ ही बैठक में श्री बघेल ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों एवं मजदूरों को उदारता पूर्वक राशि दिये जाने, मनरेगा की मजदूरी दर श्रम आयुक्त की दरों के बराबर करने, दलहन-तिलहन उत्पादन हेतु विशेष प्रोत्साहन देने संबंधी सुझाव दिए।

मुख्यमंत्री ने चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ से कम से कम 23 लाख मीट्रिक टन उसना चावल एफसीआई द्वारा केन्द्रीय पूल में लेने का लक्ष्य निर्धारित करने का आग्रह केन्द्रीय वित्त मंत्री से किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारतीय खाद्य निगम द्वारा 61.65 लाख मीट्रिक टन चावल लिया जाएगा जो शत् प्रतिशत अरवा चावल होगा। इस प्रावधान से छत्तीसगढ़ की उसना मिलें बंद हो जायेंगी और मिल से संबंधित कर्मचारी और मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे। उन्होंने धान समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के लिए बारदाने की वास्तविक लागत की प्रतिपूर्ति और पुराने बारदानों में चावल उपार्जन की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध भी किया।

श्री बघेल ने राज्य में उपलब्ध अतिशेष धान से ऐथेनॉल उत्पादन की अनुमति प्रदान करने, वर्ष 2022-23 के बजट में अनुसूचित वर्गों के कल्याण के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस स्थायी व्यवस्था करने, समग्र शिक्षा अभियान में राज्यों को आबंटित की जाने वाली राशि में वृद्धि करने, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आबंटित राशि से संधारण व्यय की अनुमति देने, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में केन्द्र और राज्य का अंश 90ः10 निर्धारित करने, जल-जीवन मिशन योजना में केन्द्र का अंश 75 प्रतिशत तथा राज्य का अंश 25 प्रतिशत करने का आग्रह केन्द्रीय वित्त मंत्री से किया। बैठक में छत्तीगसढ़ की वित्त सचिव श्रीमती अलरमेल मंगई डी. भी उपस्थित थीं।

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