ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का आतंक, निजी पार्ट्स को बनाता है निशाना, ब्लैक फंगस से कई गुना ज्यादा खतरनाक – जानिए लक्षण और इलाज

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से देश उबरने की दिशा में बढ़ ही रहा था कि अब मरीजों में नई तरह की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। कई राज्यों में कोविड मरीजों के अंदर ब्लैक फंगस के मामले सामने आने के बाद अब बिहार से व्हाइट फंगस के चार हैरान करने वाले केस सामने आए हैं। गौरतलब है कि ब्लैक फंगस की तुलना में व्हाइट फंगस को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। व्हाइट फंगस से संक्रमित मरीजों में एक पटना के मशहूर डॉक्टर हैं। फिलहाल सभी चार मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल में रखा गया है।

व्हाइट फंगस संक्रमण ब्लैक फंगस संक्रमण से अधिक खतरनाक है क्योंकि यह फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों जैसे नाखून, त्वचा, पेट, गुर्दे, मस्तिष्क, निजी अंगों और मुंह को प्रभावित करता है। डॉक्टरों ने कहा कि सफेद फंगस भी फेफड़ों को संक्रमित करता है, जिस तरह मरीजों में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जा रही एचआरसीटी तकनीक से फेफड़ों में व्हाइट फंगस संक्रमण का पता चलता है।

व्हाइट फंगस उन कोरोनावायरस रोगियों को भी प्रभावित कर रहा है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। सफेद फंगस का सीधा असर इन मरीजों के फेफड़ों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक सफेद फंगस के खिलाफ कैंसर के मरीजों को अलर्ट पर रखा गया है। सफेद कवक बच्चों और महिलाओं को भी संक्रमित करता है और डॉक्टरों के अनुसार यह ल्यूकोरिया का मुख्य कारण है।

व्हाइट फंगस उन कोरोना वायरस रोगियों को भी प्रभावित कर रहा है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। सफेद फंगस का सीधा असर इन मरीजों के फेफड़ों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक सफेद फंगस के खिलाफ कैंसर के मरीजों को अलर्ट पर रखा गया है। सफेद कवक बच्चों और महिलाओं को भी संक्रमित करता है और डॉक्टरों के अनुसार यह ल्यूकोरिया का मुख्य कारण है। डॉ सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन या वेंटिलेटर को ठीक से सेनेटाइज करने पर व्हाइट फंगस के संक्रमण से बचाव आसान है।

क्या है ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस?

ब्लैक फंगस को Mucormycosis या Zygomycosis भी कहते हैं, जो Mucormycetes नामक फफूँदी समूह के कारण पैदा होते हैं। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो ये काफी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। अगर आपके सर व चेहरे में दर्द है, साँस लेने में तकलीफ हो रही है, मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, उलटी में खून निकल रहा हो और देखने में परेशानी हो रही हो तो जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें।

इसके इलाज के लिए प्रतिदिन इन्ट्रावेनस इंजेक्शन दिया जाता है, जिसकी कीमत 3500 रुपए के आसपास होती है। लगभग 8 हफ़्तों तक इसे रोज लेने की ज़रूरत पड़ सकती है। ये फ़िलहाल अकेला ड्रग है, जिससे सफलतापूर्वक इसका इलाज हो रहा है। ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ ने इस साल मार्च में सीरम की दवा Liposomal Amphotericin B (LAmB) को मंजूरी दी। इसकी और भी दवाएँ आ सकती हैं।

क्या कर रही है सरकार?
व्हाइट फंगस के मामले हाल ही में सामने आए हैं, ऐसे में इसके अध्ययन के बाद ही केंद्र सरकार दिशानिर्देश जारी करेगी। वहीं सभी राज्यों को “ब्लैक फंगस” को महामारी घोषित करने का निर्देश दिया गया है। इसका मतलब है कि ब्लैक फंगस के सभी पुष्ट या संदिग्ध मामले (कोविड के ठीक होते रोगियों में देखी जाने वाली स्थिति) की सूचना स्वास्थ्य मंत्रालय को देनी होगी। सभी अस्पतालों को जाँच, डायग्नोसिस, प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

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