भोपाल। भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भोपाल पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इनका जोरदार स्वागत किया। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों जारी राजनीतिक उठापटक के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पार्टी मुख्यालय में सिंधिया को पार्टी की सदस्यता दिलायी।
इससे पहले, ज्योतिरादित्य ने बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदी में पार्टी ज्वाइन किया था। इसके बाद बीजेपी की तरफ से उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है।
भाजपा नेता श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का एयरपोर्ट पर जबरजस्त स्वागत हुआ।@JM_Scindia pic.twitter.com/VoAEVLjHPG
— BJP Madhya Pradesh (@BJP4MP) March 12, 2020
उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि वे उन्हें लंबे समय से जानते हैं। ज्योतिरादित्य के दिल में जो बात है और जो उनके मुंह से निकल रही है, वो दोनों अलग-अलग है।
राहुल ने कहा- “मैं सिंधिया को कॉलेज के दिनों से जानता हूं। वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हो गए और विचारधारा से समझौता कर आरएसएस के साथ चले गए।” राहुल गांधी ने कहा कि सच्चाई यह है कि उन्होंने बीजेपी में न तो सम्मान मिलेगा और न ही संतुष्टि। मैं जानता हूं कि उनके दिल में क्या है और वह क्या बोल रहे हैं।
श्री @JM_Scindia ने भाजपा कार्यालय पहुँचकर भाजपा के पितृपुरूष पं. दीनदयाल उपाध्याय जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी, राजामाता विजयाराजे सिंधिया जी की प्रतिमा और स्व. माधवराव सिंधिया जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। pic.twitter.com/PD287EouHt
— BJP Madhya Pradesh (@BJP4MP) March 12, 2020
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होते वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया पुरानी पार्टी पर खूब बरसे और PM नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जड़ता की शिकार हो गई है और नए नेतृत्व के लिए सही वातावरण नहीं है। उन्होंने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर किसानों-युवाओं से किए वादे न निभाने तथा भ्रष्टाचार में डूबे रहने का आरोप लगाया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 18 वर्षों तक कांग्रेस में रहे। उन्होंने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया और 11 मार्च को जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी ज्वाइन की। सिंधिया के साथ-साथ कांग्रेस के 19 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई।