मुंबई। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 2,000 से ज्यादा लोग फर्जी तरीके से कोरोना टीकाकरण कर रहे सेंटरों का शिकार बने हैं। गुरुवार को राज्य की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट को ये जानकारी दी गई है। राज्य सरकार के वकील, मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने अदालत में कहा कि शहर में अब तक नौ फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन शिविर लगाए जाने के मामले सामने आ चुके है।हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 29 जून को करेगा। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर राज्य सरकार और बीएमसी को अदालत के सवालों और निर्देशों से संबंधित पर हल्फनामा दाखिल करने को कहा है।
दीपक ठाकरे ने बताया कि इस मामले में पुलिस अब तक चार अलग-अलग FIR दर्ज कर चुकी है और जांच में जुटी है। राज्य सरकार की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के सामने इस मामले की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट भी सब्मिट की गई है। महाराष्ट्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और जांचकर्ता आरोपी चिकित्सक की खोज की जा रही है।
बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने अदालत को बताया कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाए गए, उन्हें टीकाकरण प्रमाण-पत्र उसी दिन नहीं दिए गए। बाद में ये प्रमाण-पत्र तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए। तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है। जिसके बाद हमें मामले की जानकारी हुई।
गौरतलब है कि बीते हफ्ते मुंबई में फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन का सनसनीखेज मामला सामने आया था। पुलिस ने इस संबंध में कुछ लोगों की गिरफ्तारी करते हुए शहर में कई जगहों पर फर्जी वैक्सीन लगाए जाने का खुलासे किए हैं। फर्जी वैक्सीनेशन कैंप लगाकर ये लोग कोरोना का टीका दे रहे थे।