Amoeba : कोरोना और कोरोना स्ट्रेन से भी खतरनाक है यह नई बीमारी, नाक के रास्ते दिमाग को पहुंचाता है नुकसान

वॉशिंगटन। कोरोना वायरस की वजह से हालात में जो तब्दीलियां आईं, अब तक वह खत्म भी नहीं हो पाई थीं कि ब्रिटेन, इटली और अमेरिका जैसे कई देशों से कोरोना स्ट्रेन की खबरें आने लगी हैं, जिसने लोगों को मानसिक तौर पर और भी ज्यादा परेशान कर दिया है। इसी बीच अमेरिका (USA) में एक नई बीमारी सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।

कोरोना वायरस संकट और कोरोना स्ट्रेन की ख़बरों के बीच अमेरिका में बहुत तेजी से दिमाग को खाने वाला घातक अमीबा नेगलेरिया फाउलरली फैल रहा है। यह अमीबा अब दक्षिणी राज्‍यों से होता हुआ अमेरिका के उत्‍तरी राज्‍यों तक फैल रहा है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह अमीबा अब धीरे-धीरे उत्‍तरी राज्‍यों की ओर बढ़ रहा है।

इसी का नतीजा है कि अब अमेरिका के मध्‍यवर्ती पश्चिमी राज्‍यों से भी नेगलेरिया फाउलरली अमीबा के केस सामने आने लगे हैं। इनमें मिन्‍नेसोटा, कंसास और इंडियाना से 6 मामले सामने आए हैं। सीडीसी ने कहा कि कोई व्‍यक्ति इस अमीबा से दूषित पानी के पीने मात्र से अमीबा नेगलेरिया फाउलरली से संक्रमित नहीं हो सकता है। वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह दिमाग को खाने वाला जीवाणु आमतौर पर म‍िट्टी, गर्म झील, नदियों और गर्म जलधाराओं में पाया जाता है।

CDC का कहना है कि Naegleria fowleri घातक होता है। वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक इस जीवाणु से ग्रसित होने के 34 मामले सामने आए थे। वर्ष 1962 से लेकर 2018 के बीच 145 लोगों को इस जीवाणु ग्रसित किया जिसमें से केवल 4 लोग ही जिंदा बच पाए। इससे संक्रमित इंसान के दिमाग में जानलेवा संक्रमण होता है। सेंट्रल ऑफ डिजीज कंट्रोल के अनुसार, लोग इस तरह के अमीबा के शिकार स्विमिंग के दौरान होते हैं।

जब नेगलेरिया फाउलरली अमीबा उनकी नाक में प्रवेश करके उनके दिमाग तक पहुंच जाता है और दिमाग के टिश्यूज को खाना शुरू कर देता है। इस तरह के अमीबा के संपर्क में आनेवाले 97 प्रतिशत लोगों का बचना बेहद मुश्किल होता है। CDC ने कहा कि नेगलेरिया फाउलरली अमीबा हर साल 8.2 मील उत्‍तर की ओर बढ़ रहा है। CDC ने बताया कि यह जीवाणु ठीक से रख-रखाव नहीं किए जाने वाले स्‍वीमिंग पूल और फैक्ट्रियों से छोड़े गए गरम पानी में भी रहता है।

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