वैज्ञानिक बोले, कोरोना के चीन की लैब से निकलने की थ्योरी नहीं कर सकते खारिज

लंदन। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर पिछले कई सप्ताह से तबाही मचा रही है। रोजाना तीन लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिल रहे हैं, जबकि हजारों लोगों की जान जा रही है। भारत ही नहीं, दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी को पुख्ता तौर पर यह नहीं मालूम कि आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई। हालांकि, दुनिया के टॉप साइंटिस्ट्स के एक ग्रुप का कहना है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति किसी लैब से होने वाली थ्योरी को तब तक गंभीरता से लेना चाहिए, जब तक यह गलत साबित नहीं हो जाए।

साल 2019 के अंत में चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस ने 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली है, जबकि करोड़ों लोग चपेट में आ चुके हैं। भारत-अमेरिका जैसे देशों को वायरस ने तकरीबन-तकरीबन घुटने के बल ला दिया है। दुनिया के टॉप साइंटिस्ट्स की इस टीम में कुल 18 लोग शामिल हैं, जिन्होंने वायरस के बारे में अहम जानकारियां दीं। इस टीम में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट रवींद्र गुप्ता, फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में इवॉल्यूशन ऑफ वायरस की स्टडी करने वालीं जेसी ब्लूम भी हैं। इन लोगों ने कहा, ”महामारी की उत्पत्ति को निर्धारित करने के लिए अभी और जांच की आवश्यकता है।”

स्टैनफोर्ड में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रेलमैन सहित वैज्ञानिकों ने एक पत्रिका में कहा, ”वायरस के किसी लैब और ज़ूनोटिक स्पिलओवर, दोनों से अचानक बाहर निकलने के सिद्धांत बने हुए हैं।” लेखकों ने पत्रिका में आगे बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वायरस के उत्पत्ति के सिलसिले में की गई जांच में इस बात को लेकर संतुलित विचार नहीं किया गया कि यह लैब से भी आया हो सकता है।” मालूम हो कि अपनी फाइनल रिपोर्ट में, चीनी साइंटिस्ट्स के साथ संयुक्त रूप से लिखी गई, एक डब्ल्यूएचओ की अगुवाई वाली टीम, जिसने जनवरी और फरवरी में वुहान और उसके आसपास चार सप्ताह बिताए थे, ने कहा था कि वायरस संभवतः चमगादड़ से मनुष्यों में किसी अन्य जानवर के जरिए से आया हो सकता है। हालांकि, लैब से बाहर आने वाली थ्योरी की संभावना नहीं ही है।

वहीं, दुनियाभर में वायरस की उत्पत्ति को लेकर नेताओं से साइंटिस्ट्स तक, तरह-तरह के दावे करते रहे हैं। कई देश इसके पीछे चीन को दोषी तक ठहरा चुके हैं। हाल ही में सामने आई खुफिया रिपोर्ट में चीन द्वारा इस पर 2015 से काम करने की भी बात सामने आ चुकी है। टॉप साइंटिस्ट्स की टीम ने आगे बताया कि हमें पर्याप्त डाटा होने तक प्राकृतिक और लैब दोनों इसके बाहर आने की कल्पना को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ देशों में दुर्भाग्यपूर्ण एशियाई विरोधी भावना के इस समय में, हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि महामारी की शुरुआत में यह चीनी चिकित्सक, वैज्ञानिक, पत्रकार और नागरिक ही थे जिन्होंने वायरस के प्रसार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दुनिया के साथ साझा की थी और वह भी बड़ी व्यक्तिगत कीमत पर।

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