अमेरिकी चुनाव ने एक दिन में 90 हजार से ज्यादा को बनाया कोरोना मरीज, जानिए कैसी है अन्य देशों की तैयारी? क्या भारत में चुनाव के चलते बढ़गें मरीज

नई दिल्ली। देश के कई इलाके में चुनाव हो रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव समेत देश के कई विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव किए जा रहे हैं। कोरोना काल में चुनावी जनसभाओं के आयोजन ने कुछ हद तक इसके संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी भी की है। हालांकि अमेरिका के चुनाव और वहां के कोरोना संक्रमितों के साथ यदि तुलना की जाए तो कहना गलत न होगा कि हमारे यहां कोरोना मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है।

www.worldometers.info/coronavirus के मुताबिक अमेरिका में हालात अब भी बदतर हैं। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, महामारी शुरू होने के बाद अमेरिका में पहली बार एक दिन में 90 हजार से ज्यादा नए संक्रमितों की पहचान हुई है। इसी दौरान 1 हजार 21 लोगों की मौत भी हुई। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अमेरिका में हर सेकेंड एक व्यक्ति संक्रमित हो रहा है। 50 में से 48 राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।

शुक्रवार सुबह जारी बयान में जॉन हॉपकिन्स ने बताया- अमेरिका में गुरुवार को 90 हजार नए केस सामने आए हैं। ज्ञात हो कि महामारी शुरू होने के बाद एक दिन में पाए जाने वाले कोरोना संक्रमितों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह संख्या करीब 86 हजार बताई है। गुरुवार को कुल 91 हजार 295 नए मामले सामने आए। यह डाटा बाल्टीमोर स्कूल ने कलेक्ट किया है। यहां मरने वालों की संख्या अब 2 लाख 28 हजार 626 हो चुकी है। दुनिया भर की बात करें तो यह कहना गलत न होगा कि कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में ही सामने आए और सबसे ज्यादा मौतें भी यहां हुई हैं। बुधवार को यहां करीब 88 हजार संक्रमित मिले थे। हालांकि, इसकी सफाई में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया कि ज्यादा टेस्टिंग होने की वजह से यहां ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बहुत जल्द ही होने वाले हैं। हालांकि यहां कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक एक हफ्ते में यहां 5 लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत भी हो गई है। यहां कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। अकेले 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए हैं। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा है कि हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था भी की जा रही है। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान से सीख लेने की जरूरत है।

वहीं, अगर हम दुनिया भर के कोरोना संक्रमितों की बात करें तो पाएंगे कि यहां मरीजों की संख्या 4.53 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। इनमें से 3 करोड़ 29 लाख 85 हजार 561 मरीज रिकवर कर चुके हैं। वहीं, अब तक 11.85 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एक ओर अमेरिका जैसा देश है, जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, वहीं दूसरी तरफ ताइवान की मिसाल नायाब है। यहां 200 दिन (12 अप्रैल) के बाद से अब तक कोई स्थानीय संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है।

 

ताइवान ने संक्रमण पर तेजी से काबू पाने की कोशिश की थी। इसके नतीजे भी साफ तौर पर नजर आने लगे हैं। अमेरिका से जारी एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान में 200 दिनों से स्थानीय संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। यहां अब तक 550 केस मिले हैं और कुल सात मौतें हुई हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान में आखिरी लोकल केस 12 अप्रैल को आया था। इसके बाद से यहां संक्रमण का कोई स्थानीय मामला सामने नहीं आया। ऑस्ट्रेलियन मेडिकल सेंटर ने कहा- न्यूजीलैंड और ताइवान ने वायरस को सबसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया है।

रूस में गुरुवार को संक्रमण के करीब 18 हजार नए मामले सामने आए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने देश के सभी अस्पतालों और मेडिकल केयर सेंटर्स को अलर्ट पर रहने को कहा। खास बात यह है कि इसी दौरान 366 लोगों की मौत हो गई। सिर्फ एक राहत की बात है कि इसी दौरान 14 हजार मरीज स्वस्थ भी हुए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगाह किया है कि बढ़ती सर्दी की वजह से संक्रमण और तेजी से फैल सकता है और हमने इसके मद्देनजर तैयारियां भी की हैं। बता दें कि अब तक 11 लाख से ज्यादा मरीज यहां सामने आ चुके हैं।

यूरोपीय देशों में एक देश के मरीज दूसरे देश के अस्पतालों में शिफ्ट किए जा सकेंगे। इसके लिए स्पेशल फंड ट्रांसफर स्कीम भी लॉन्च की गई है। इसे बारे में यूरोपीय देशों ने एक समझौता किया है। फ्रांस और जर्मनी के अलावा स्पेन में भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से यहां सरकारें अलर्ट पर हैं। मरीजों को ट्रांसफर करना यूरोपीय देशों में मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर देश छोटे हैं और इनकी ओपन बॉर्डर हैं। सड़क के रास्ते भी आसानी से एक देश से दूसरे देश में जाया जा सकता है। ईयू कमिशन की हेड वॉन डेर लेन ने कहा- वायरस तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सहयोग जरूरी है। हमारी कोशिश है कि हेल्थ केयर सिस्टम पहले की तरह मजबूती से काम करता रहे।

https://www.worldometers.info/coronavirus/country/us/

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