”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-रूप घनाक्षरी
विश्वकर्मा जयंती
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सकल सृष्टि के कर्ता, शिल्पकार विश्वकर्मा,
‘सुषमा’ सजाते विश्व,
नमन है बारम्बार।
श्रमदेव आशीष से, हुनर को पहचान,
सुदृढ़ संकल्प लिए,
कर्म करें कामगार।
विज्ञान विधाता शिल्पी, वास्तु कला ज्ञाता शिल्पी,
ऐसे दक्ष कारीगर,
देव प्रभु शिल्पकार।
स्वर्णमय लंका नाम, द्वारिका बसाया धाम,
बंगाल की खाड़ी पुरी,
चारों धाम में स्वीकार।
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