कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। यह महागणपति, महालक्ष्मी एवं महाकाली की पौराणिक अथवा तांत्रिक विधि से साधना-उपासना का परम पवित्र पर्व है। इस दिन उद्योग-धंधे के साथ-साथ नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष वि धान है। इस साल दीपावली 27 अक्टूबर को है।
हालांकि अमावस्या तिथि 28 तारीख को भी है। शास्त्रों के अनुसार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। लेकिन यह भी नियम है कि जिस दिन संध्या के समय यानी प्रदोष काल में और मध्य रात्रि में यानी महानिशीथ काल में अमावस्या तिथि हो उसी दिन दीपावली मनाई जाती है। इस संदर्भ में भविष्य पुराण में लिखा है कि-कार्तिके प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत देवीं भोगमोक्ष प्रदायिनीम्।।
शास्त्रों के इस नियम की वजह से इस वर्ष दीपावली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दरअसल इस वर्ष 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होकर अमावस्या तिथि शुरू हो रही है। 28 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जा रही है इसलिए पहली अमावस्या के दिन ही दीपावली मनाई जाएगी और 28 अक्टूबर को अन्नकूट का त्योहार मनाया जाएगा।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर15 मिनट तक
दोपहर शुभ पूजा मुहूर्त- 1 बजकर 48 से 3 बजकर 13 मिनट तक
दिवाली पूजा विधि…
दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन शाम को एक साफ चौकी बिछांए। इसके बाद इस पर गंगा जल छिड़काव करें। भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के साथ कुबेर और श्री यंत्र भी स्थापित करें। पूजा स्थान पर एक जल से भरा तांबे का कलश रखें अगर आपके पास तांबे का कलश नहीं है तो आप साधारण कलश भी रख सकते हैं।
इसके बाद कलश पर रोली से सतिया बना लें और श्रीं लिखें इसके बाद मोली की 5 गांठे बांध दें। इसके बाद आम के पत्ते बांध दे और पुजा स्थल पर पंच मेवा, गुड़ फूल , मिठाई,घी , कमल का फूल ,खील बातसें आदि भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आगे रखें।
मां लक्ष्मी को कमल का फूल अत्याधिक प्रिय है इसलिए मां लक्ष्मी के दोनों और एक- एक कमल का फूल रखें। इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आगे पांच घी और पांच तेल के दीपक और तेल का बड़ा दीपक जलाएं। और विधिवत पूजन करें। भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद कुबेर जी की पूजा भी अवश्य करें। इसके बाद अपने गहनों ,पैसों और बहीखातों की भी पूजा करते हैं। जिससे आपकी संपन्नता लगातार बढ़ती रहे।