#HonoringTheHonest: पीएम मोदी ने लॉन्च किया “पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान” प्लेटफॉर्म, बोले- राष्ट्रनिर्माण में ईमानदार करदाता की बहुत बड़ी भूमिका, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है

न्यूज़ डेक्स। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों पर देशवासियों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस प्रकार इनकम टैक्स रिटर्न की स्क्रूटनी में कमी आई है, उससे यह साबित होता है कि देशवासियों का मोदी सरकार पर विश्वास और दृढ़ हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन के लिए प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया। इस दौरान उन्होंने बताया, ”वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है। यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है” उन्होंने कहा कि बीते 6 वर्षों में भारत ने टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में नया मॉडल विकसित होते देखा है।

टैक्स रिफॉर्म के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस प्लेटफार्म में फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं। फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर चार्टर 13 अगस्त से ही चालू हो गया है, जबकि फेसलेस अपील 25 सितंबर यानि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती से देशभर में लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में अब टैक्स एसेसमेंट जरूर फेसलेस हो रहा है, लेकिन ये फेयरनेस और फियरनेस का विश्वास देने वाला है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज एक तरह से नई यात्रा शुरू हो रही है। ऑनरिंग दे ओनेस्ट यानि ईमानदारी के सम्मान की यात्रा। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, उसका जीवन आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है और देश भी आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आज से शुरू हो रही नई व्यवस्थाएं नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार और उसके दखल को कम करने की दिशा में बड़ा कदम है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हर कानून और पॉलिसी को प्रोसेस और पॉवर सेंट्रिक एप्रोच से बाहर निकालकर पीपल सेंट्रिक और पब्लिक फ्रेंडली बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम में लोगों को मिल रहे हैं। अब देश में माहौल इस ओर आगे बढ़ रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए सारे काम होने चाहिए।

उन्होंने ने कहा कि इस बदलाव के पीछे चार कारण हैं। पहला, पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस। जब पॉलिसी स्पष्ट होती है तो व्यापार में, बिजनेस में डिस्क्रीशन की गुंजाशन कम हो जाती है। दूसरा- सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास। तीसरा- सरकारी सिस्टम में ह्यूमेन इंटरफेस को सीमित करके टेक्नॉलॉजी का बड़े स्तर पर उपयोग। और चौथा- सरकारी मशीनरी, ब्यूरोक्रेसी में efficiency, Integrity और Sensitivity के गुणों को पुरस्कृत किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक दौर था जब हमारे यहां Reforms की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले ले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें Reform कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए Reform का मतलब है, Reform नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, Holistic हो और एक Reform, दूसरे Reform का आधार बने, नए Reform का मार्ग बनाए। और ऐसा भी नहीं है कि एक बार Reform करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है।”

श्री मोदी ने कहा कि बीते कुछ वर्षो में देश में डेढ़ हजार ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है। Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत आज से कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था। आज भारत की रैंकिंग 63 है। रैंकिंग में इतने बड़े बदलाव के पीछे अनेकों Reforms हैं, अनेकों नियमों-कानूनों में बड़े परिवर्तन हैं। Reforms के प्रति भारत की इसी प्रतिबद्धता को देखकर, विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के इस संकट के समय भी भारत में रिकॉर्ड FDI का आना, इसी का उदाहरण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में Fundamental और Structural Reforms की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे-धीरे विकसित हुआ। आजादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े-बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन Largely सिस्टम का Character वही रहा। इसका परिणाम ये हुआ कि जो टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण का एक मजबूत पिलर है, जो देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए योगदान दे रहा है, उसको कठघरे में खड़ा किया जाने लगा। इनकम टैक्स का नोटिस फरमान की तरह बन गया। इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार कारोबार करने वालों को और देश की युवा शक्ति की आंकांक्षों को प्रोत्साहित करने के बजाए कुचलने का काम किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते कुछ समय से यही काम करने की दिशा में एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। दर्जनों टैक्सों की जगह जीएसटी आ गया है। रिटर्न से रिफंड की व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया। यही नहीं पहले दस लाख से ऊपर के विवादों को लेकर सरकार हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती है। अब हाईकोर्ट एक करोड़ और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ की सीमा तय की गई है। विवाद से विश्वास योजना से कोर्ट के बाहर मामले सुलझाने पर जोर है और कम समय में 3 लाख मामलों को सुलझाया जा चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश ये है कि टैक्स प्रणाली Seamless हो, Painless हो, Faceless हो। Seamless यानि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे। Painless यानि टेक्नॉलॉजी से लेकर रूल्स तक सबकुछ सरल हो। Faceless यानि Taxpayer कौन है और कर अधिकारी कौन है, इससे मतलब होना ही नहीं चाहिए। ये टैक्स रिफॉर्म्स इसी सोच को आगे बढ़ाने वाले हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है। भारत के इतिहास में पहली बार करदाताओं के अधिकारों और कर्तव्यों को कोडीफाई किया गया है, उनको मान्यता दी गई है। टैक्सपेयर्स को इस स्तर का सम्मान और सुरक्षा देने वाले गिने चुने देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है। अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता। अगर किसी प्रकार का संदेह है भी, तो टैक्सपेयर को अब अपील और समीक्षा का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि टैक्सपेयर के लिए टैक्स देना और सरकार के लिए टैक्स लेना यह अधिकार का नहीं बल्कि ये दोनों का दायित्व है कर्तव्य है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी भी बहुत कम है। इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं। इस पर देश को आत्मचिंतन करना होगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मचिंतन जरूरी है और ये जिम्मेदारी सिर्फ टैक्स डिपार्टमेंट की नहीं है, हर भारतीय की है। जो टैक्स देने में सक्षम हैं, लेकिन अभी वो टैक्स नेट में नहीं है, वो स्वप्रेरणा से आगे आएं, ये मेरा आग्रह है और उम्मीद भी। अंत में उन्होंने कहा, “आइए, विश्वास के, अधिकारों के, दायित्वों के, प्लेटफॉर्म की भावना का सम्मान करते हुए, नए भारत, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करें।”

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