PM मोदी का कांग्रेस पर तंज, कहा- अगर आपको आंदोलन-धरना करना है तो पाकिस्तान के कारनामों के खिलाफ करना चाहिए

बेंगलुरु। PM नरेन्द्र मोदी कर्नाटक के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को एक विशेष विमान से येलहंका हवाई अड्डे पर पहुंचे। बाद में उन्होंने तुमकुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला किया। मोदी ने कहा कि कुछ हफ्ते पहले ही संसद ने CAA बनाने का ऐतिहासिक काम भी किया है। लेकिन कांग्रेस के लोग और उनके साथी दल और उनका बनाया इकोसिस्टम भारत की संसद के खिलाफ ही उठ खड़ा हुआ है। जैसी नफरत वो हमसे करते हैं, ऐसा ही स्वर अब देश की संसद के खिलाफ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग आज भारत की संसद के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की हरकतों को बेनकाब करने की जरुरत है। अगर आपको आंदोलन करना ही है तो पाकिस्तान के पिछले 70 साल के कारनामों के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए, आवाज उठानी चाहिए। अगर आपको नारे लगाने ही हैं तो पाकिस्तान में जिस तरह अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, उसके खिलाफ नारे लगाइए। अगर आपको जुलूस निकालना ही है तो पाकिस्तान से आए दलित-पीड़ित-शोषितों के समर्थन में जुलूस निकालिए।

PM मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म किया जा रहा है पर इन लोगों के मुंह पर ताले क्यों लगे हुए हैं। इसके अलावा मोदी ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की रीति और नीति में बदलाव का संकल्प दोहराते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर से 370 को हटाकर वहां से आतंक और अनिश्चितता को दूर करने का, वहां विकास के नए युग का संकल्प भी पूरा हो रहा है। अपने कामकाज को गिनाते हुए PM ने कहा कि 2014 के बाद से ही सामान्य मानवीय के जीनव में सार्थक परिवर्तन लाने वाले अभूतपूर्व प्रयास भारत ने किए हैं। आज खुले में शौच से देश को मुक्त करने का संकल्प, गरीब बहनों को धुएं से मुक्ति का संकल्प और किसानों, छोटे व्यापारियों, श्रमिकों को पेंशन का संकल्प सिद्ध हो रहा है। अब ये हर भारतीय का मानस बन चुका है कि विरासत में जो समस्याएं हमें मिली हैं, उनको हल करना ही होगा। समाज से निकलने वाला यही संदेश हमारी सरकार को प्रेरित भी करता है और प्रोत्साहित भी करता है।

श्री मोदी ने कहा कि मैं आज संत समाज और आप सबसे 3 संकल्पों में सक्रिय सहयोग चाहता हूं। पहला- अपने कर्तव्यों और दायित्वों को महत्व देने की अपनी पुरातन संस्कृति को हमें फिर मजबूत करना है। दूसरा-प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा। तीसरा-जल संरक्षण और जल संचयन के लिए जनजागरण में सहयोग। भारत ने हमेशा संतों, ऋषियों और गुरुओं को सही मार्ग के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में देखा है। New India में भी सिद्दागंगा मठ और अध्यात्म एवं आस्था से जुड़े देश के हर नेतृत्व की भूमिका अहम है। भारत ने नई ऊर्जा और नए उत्साह के साथ 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश किया है। आपको याद होगा कि बीते दशक की शुरुआत किस तरह के माहौल से हुई थी। लेकिन 21वीं सदी का ये तीसरा दशक उम्मीदों की, आकांक्षाओं की मजबूत नींव के साथ शुरु हुआ है।

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