न्यूज़ डेस्क। आजादी के बाद कांग्रेसी सरकारों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर कई ऐसी गलतियां कीं, जिसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ा है। 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास के साथ-साथ कांग्रेस की गलतियों को भी सुधारने का प्रयास किया है। चाहे आर्टिकल 370 हटाना हो या सीमा पर सड़कों का निर्माण हो या फिर सेना को अधिकार संपन्न और मजबूत बनाना हो। मोदी सरकार ने लगातार बड़े फैसले लिए हैं। जम्मू-कश्मीर की कमान केंद्र के हाथों में आने के बाद वहां बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश के रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने 1971 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर को वापस लेकर सेना को बड़ी राहत दी है।
अब सुरक्षा बलों के जवानों को जम्मू-कश्मीर में भूमि के अर्जन/अधिग्रहण के लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। इससे भारतीय सेना, BSF, CRPF व गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अन्य सशस्त्र बलों को फायदा मिलेगा। इससे पहले सुरक्षा बलों के जवानों को गृह मंत्रालय के पास NOC के लिए आवेदन करना होता था।
24 जुलाई, 2020 को जम्मू कश्मीर प्रशासन के रेवेन्यू डिपार्टमेंट द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, “केंद्र शासित प्रदेश में ‘भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन एक्ट, 2013’ के विस्तार को ध्यान में रखते हुए, 27 अगस्त, 1971 की तारीख के सर्कुलर को वापस लिया जाता है। इस सर्कुलर के तहत आर्मी, BSF/CRPF या इसी तरह की संस्था के फेवर में ज़मीन अधिग्रहण के लिए होम डिपार्टमेंट से NOC की ज़रूरत होती थी।”
1971 के सर्कुलर को वापस लेने के फैसले से कुछ दिन पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने एक और फैसला लिया था। प्रशासन ने ‘कंट्रोल ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट- 1988’ और ‘जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट- 1970’ में एक संशोधन को मंज़ूरी दी थी। जो कि सशस्त्र बलों को ‘रणनीतिक क्षेत्रों’ में कंस्ट्रक्शन करने के लिए खास व्यवस्था देता है।
दरअसल सुरक्षा बलों को कई क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने होते हैं। अब कुछ क्षेत्रों को चुन कर उसे ‘रणनीतिक क्षेत्र’ घोषित करने में भी आसानी होगी, जहां सुरक्षा बलों के जवान आसानी से निर्माण-कार्य कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर उस क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे।
With the abrogation of Article 370 defence forces won't face any major hurdle in acquiring land in Jammu and Kashmir.
This will go a long way in the construction of strategic infrastructure in time bound manner!
A giant leap in the right direction!https://t.co/8rUSez57Ps
— Y. Satya Kumar (@satyakumar_y) July 28, 2020
अब जिले में ही सारा कार्य हो जाएगा, क्योंकि सभी जिलों के DM को भूमि अधिग्रहण संबंधी कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए अनुमति और निर्देश दे दिए गए हैं। रणनीतिक कार्यों के लिए नेवी, एयरफोर्स और सशस्त्र बलों को अन्य राज्यों में पहले से ही ये सुविधाएँ हासिल हैं लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं हो पाता था। राज्यों में पुलिस को भी ये अधिकार मिले हुए हैं। लोगों ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
ऐतिहासिक तथ्य है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू कुछ गलतियां नहीं करते तो आज कश्मीर में कोई समस्या नहीं होती। आइए आपको बताते हैं किस तरह नेहरू की गलतियों ने कश्मीर समस्या को जन्म दिया।
* पहला, नेहरू ने कश्मीर मामले को हैंडल करने की जिम्मेदारी लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल को क्यों नहीं सौंपी। उन्होंने अपनी सूझबूझ से पूरे देश को एकसूत्र में पिरोया था। लेकिन नेहरू ने कश्मीर में अड़ंगा लगाया और परिणाम आज देश की 130 करोड़ जनता को भुगतना पड़ रहा है।
* दूसरा, कश्मीर के राजा ने भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिया था। कबायलियों के कपड़ों में आए पाकिस्तानी घुसपैठियों को हमारी सेना लगभग खदेड़ चुकी थी। ऐसी स्थिति में नेहरू कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में लेकर क्यों चले गए?
* तीसरा, जब 1948 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारी सेना जीत रही थी, तो उन्होंने सीजफायर की घोषणा क्यों कर दी।
* चौथा, संविधान के अनुच्छेद 370 के माध्यम से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा क्यों दिलाया ? इस अनुच्छेद की वजह से एक देश में दो निशान और दो
विधान बन गया।