किसान आंदोलन : शाही पनीर, मिक्स वेज और गाजर के हलवे जैसे व्यंजनों का खूब लुत्फ उठा रहे है आंदोलित किसान, खुशबू से महक रहा है धरना स्थल

गाजीपुर। नए कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में किसानों ने अपनी हुंकार भर ली है। बीते 18 दिनों से लगातार किसान सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अपना डेरा डाले हुए हैं। वहीं इन बॉर्डरों पर किसानों को खाना खिलाने के लिए लंगर चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इन लंगरों में अब अलग-अलग तरह के व्यंजन भी तैयार किए जा रहे हैं। जिसकी खुशबू गाजीपुर बॉर्डर पर महक रही है।

सुबह उठने के साथ ही किसान अपने अन्य साथियों के लिए नाश्ते में विभिन्न तरह के स्नैक्स तैयार करते हैं, जिसमें आलू, गोभी और ब्रेड पकोड़े शामिल है। वहीं पकौड़ों के साथ अपने अपने गांव से लाए भैंस के दूध की चाय भी परोसी जाती है। पंजाब, हरयाणा, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न जगहों के किसानो के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा अन्य जगहों से भी लंगर सेवा में सहयोग किया जा रहा है और यही कारण है कि लंगर में विभिन्न तरह के पकवान प्रदर्शनकारियों के लिए बन रहे हैं।

समय बीतने के साथ साथ किसानों ने लंगर सेवा में दाल, कढ़ी, खीर, गाजर वाली खीर भी शामिल कर रखी है। वहीं हर दिन मैन्यू भी बदला जा रहा है। किसी दिन गाजर का हलवा तो किसी दिन गन्ने की रस वाली खीर तैयार की जाती है। बॉर्डर पर अन्य किसानों के लिए लंगर तैयार कर रहे एक किसान ने बताया रविवार (आज) हम लोग किसान भाइयों के लिए जलेबी बनाएंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के लिए दिल्ली के कई गुरुद्वारों से लंगर सेवा की जा रही है। इस सेवा कार्य में स्थानीय लोग भी हिस्सा ले रहे हैं और किसानों की सेवा में उतर चुके हैं।

गाजियाबाद वैशाली से आए महताब आलम ने बताया, मैं बीते 10 दिन से बॉर्डर पर आ रहा हूं, मैं भी एक किसान का बेटा हूं। मैं कोशिश करता हूं कि इन सभी लोगों की ज्यादा से ज्यादा सेवा कर सकूं। इसके लिए बीते 10 दिनों से 100 केले और बिस्किट रोजाना ला रहा हूं। मेहताब के साथ उनका 4 वर्ष का बेटा भी आया जिसने किसानों को अपने हाथों से बिस्किट बांटे।

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के लिए फल, दवाएं, मेवे, पानी की व्यवस्था की जा चुकी है, वहीं अब बॉर्डर पर विभिन्न तरह के व्यंजनों की खुशबू भी महकती रहती है। सुबह से लेकर रात तक किसानों की सेवा में लंगर तैयार किए जाते हैं। दोपहर और रात के लिए किसान अपने अन्य किसान भाइयों के लिए कढ़ी चावल, काले चने की सब्जी, फिंगर चिप्स पकोड़ा तैयार करते हैं। वहीं तबे की रोटी, मिक्स वेज, मटर पनीर और शाही पनीर भी प्रदर्शनकारियों को परोसा जाता है।

वर्तमान में बॉर्डर पर कई स्टॉल लगा दिए गए हैं। जहां लंगर चलता रहता है। आस पास मौजूद गुरुद्वारे की गाड़ियों में बर्तन और अन्य खाने की सामग्री लगातार पहुंचती रहती है। ताकि किसी भी चीज की कमी न हो। बॉर्डर पर हर दिन खाने के लिए कुछ न कुछ नया बनता रहता है। यही नहीं आस पास के इलाकों में रहने वाले बच्चे भी इन सभी व्यंजनों का खूब लुत्फ उठा रहे हैं। बच्चों को मैगी, मैक्रोनी, सेब, संतरे और जूस भी मिलते रहते हैं।

महाराष्ट्र से गाजीपुर बॉर्डर पर आए गुरुद्वारा लंगर साहिब (नांदेड़ वाले) बीते 10 दिनों से अधिक समय से यहां मौजूद है। गुरुद्वारे की तरफ से आए संदीप सिंह ने बताया, अब तक हम मटर पनीर, पकोड़े, खोए के लड्डू, कढ़ी चावल, गाजर आलू की सब्जी और मिक्स वेज की सब्जी बना कर अपने किसान भाईओं को खिला चुके हैं। हम अपने लंगर से जितने भाइयों की सेवा कर सकें उतना कम है। यहां आए सभी लोग हमारे भाई है चाहे वह किसान हो या नहीं, लंगर सेवा हर किसी के लिए हैं।

यदि कोई व्यक्ति रात के 2 बजे भी आता है तो हम उसको खाना खिलाएंगे, ओढ़ने के लिए रजाई भी देंगे। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के अलावा दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी है। यहां किसानों को खाना खिलाने के लिए लंगर चलाए जा रहे हैं। साथ ही साथ मेडिकल सुविधाओं और मोबाइल टॉयलेट का इंतजाम भी किया जा चुका है। हालांकि किसानों की मांग है इन कृषि कानूनों को सरकार वापस लेले तो हम तुरन्त बॉर्डर से हट जाएंगे।

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