कोझिकोड़ (केरल)। हम सदियों से शांति से रहे हैं। हमने हमेशा अपनी जमीन पर दुनिया का स्वागत किया है। हमारी सभ्यता तब ही समृद्ध हो गई थी जब कई ऐसा नहीं कर सके थे। हम अहिंसा के आदर्शों पर चले और कई देशों ने इसे अपनाया। ये बातें गुरुवार को PM नरेंद्र मोदी ने IIM कोझिकोड़ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण देते हुए कहीं।
श्री मोदी ने कहा कि हमारी धरती ने दुनिया को हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म जैसे धर्म दिए। हमारी धरती पर सूफी परंपरा पनपी है। इस सबके मूल में अहिंसा ही है। 20वीं सदी में महात्मा गांधी ने इन आदर्शों का पालन किया और इसने भारत की आजादी में अमूल्य योगदान दिया। चाहे डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर हों या नेल्सन मंडेला या कई अफ्रीकी देशों में स्वतंत्रता संग्राम, उन्होंने गांधीजी से प्रेरणा ली।
Speaking on 'Globalising Indian Thought.' Watch https://t.co/Ta82teOBXS
— Narendra Modi (@narendramodi) January 16, 2020
दो विश्व युद्ध में कई भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई। वे बहादुरी से लड़े, भले ही भारत की उन युद्धों में कोई हिस्सेदारी नहीं थी। हम कभी किसी की जमीन या संसाधन नहीं चाहते थे, लेकिन हमारे सैनिकों ने शांति के लिए लड़ाई लड़ी। भारत वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने IIM कैंपस में स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण भी किया। उन्होंने कहा कि भारतीय विचारों के वैश्वीकरण में विवेकानंद के योगदान को नहीं भूला जा सकता। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि कि हम ऐसे समय भारतीय विचार के वैश्वीकरण पर चर्चा कर रहे हैं जब इसी कैंपस में उनकी प्रतिमा को खास जगह मिली हुई है। उनके योगदान को भला कौन भूला सकता है। वर्षों पहले 11 सितंबर 1893 को उन्होंने शिकागो में ऐतिहासिक भाषण के दौरान भारत की सदाशयता की झलक दी थी।