गणेश चतुर्थी 2020: इस तरह विधि-विधान से करें अपने घर में गणपति बप्पा की स्थापना, रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजेंगे शुभ-लाभ

धर्म डेस्क। गणेश चतुर्थी का त्योहार यानी वह पावन दिन जब हमारे घर गणपति बप्पा स्वयं पधारते हैं और हमारा जीवन धन्य हो जाता है। हम कृतार्थ हो जाते हैं उन्हें पाकर। भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इसी दिन दस दिनों के लिए बप्पा हमारे घर पधारते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी 22 अगस्त शनिवार को है।

शुभ व पावन बेला में पधारेंगे गजानन

श्री गणपति का दस दिनों के लिए पृथ्वी पर शुभागमन हो रहा है। प्रथम पूज्य श्री गणेश हमारे अति विशिष्ट, सौम्य और आकर्षक देवता हैं। उनके आगमन के साथ ही पृथ्वी पर चारों तरफ रौनक, रोमांच और रोशनी बिखर जाती है। ये हमारे ऐसे मेहमान हैं जो हमें मोहित करते हैं, मुग्ध करते हैं, मन को भाते हैं क्योंकि वे आते हैं बिना किसी अपेक्षा के और देकर जाते हैं हमारी अपेक्षा से कई-कई गुना ज्यादा….। स्वागत, वंदन की इस बेला में हर दिल यही गाता नजर आता है- घर में पधारो गजानन जी, मेरे घर में पधारो…

विशिष्ट मेहमान के आगमन की तैयारी

जब घर में भगवान गणेश जैसे विशिष्ट मेहमान आने वाले हों तो तैयारी भी वैसी ही होनी चाहिए। तो बप्पा के आगमन से पहले घर को सजाएं, संवारें। इतना खूबसूरत हो उनके आने से पहले आपका घर कि वे देखते ही प्रसन्न हो जाएं। मुस्कुरा उठें और कहें कि बस अब कहीं नहीं जाना.. यहीं रहना है।

उनके स्थापना का स्थान स्वच्छ करें। सबसे पहले स्थान को पानी से धोएं। कुमकुम से एकदम सही व्यवस्थित स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। स्थान को रोशनी से सुसज्जित करें। चारों तरफ रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सजावटी सामग्री से स्थान को सुंदर और आकर्षक बनाएं।

सपरिवार आरती में शामिल होना जरूरी है अत: किसी ऐसे कमरे में गणेश स्थापना करें जहां सब पर्याप्त दूरी के साथ खड़े हो सके। एक तांबे का सुस्वच्छ कलश शुद्ध पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह समस्त तैयारी गणेश उत्सव के आरंभ होने के पहले कर लें।

भगवान गणेश को घर में इस तरह लाएं

भगवान गणेश को जब लेने जाएं तो स्वयं नए वस्त्र धारण करें। पुरुष सिर पर टोपी, साफा या रूमाल रखें। स्त्रियां सुंदर रंगबिरंगे वस्त्र के साथ समस्त आभूषण पहनें। सुगंधित गजरा लगाएं। अगर उपलब्ध हो तो चांदी की थाली साथ में लेकर जाएं ना हो तो पीतल या तांबे की भी चलेगी। सबसे आसान है लकड़ी के वस्त्र से सुसज्जित पाटा। साथ में सुमधुर स्वर की घंटी, खड़ताल, झांझ-मंजीरे लेकर जा सकें तो अति उत्तम।

घर में ऐसे करें गणपति का स्वागत

जब घर के द्वार पर भगवान गणेश आ जाए तो घर की मालकिन गणेश को द्वार पर रोकें। स्वयं अंदर आकर पूजा की थाली लाकर उनकी आरती उतारे। उनके लिए सुंदर और शुभ मंत्र बोलें। आदर सहित गजानन को घर के भीतर उनके लिए तैयार स्थान पर जय-जयकार के साथ शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। सभी परिजन मिलकर कर्पूर आरती करें। पूरी थाली का भोजन परोस कर भोग लगाएं। लड्डू या मोदक अवश्य बनाएं। पंच मेवा भी रखें। प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें।

ऐसे करें गणेश जी की स्थापना व पूजा

  • एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे साफ करें और उसके बाद उस पर लाल या हरे रंग का वस्त्र बिछाएं। गणेश जी की स्थापना हमेशा उत्तर दिशा में की जाती है। इसलिए आप भी उत्तर दिशा में ही गणेश जी की स्थापना करें।
  • कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत रखें और उन अक्षतों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और एक लोटे में गंगाजल लेकर गेंदे के फूल से गंगाजल को गणेश जी पर छिड़कें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में गणेश जी को जनेऊ धारण कराएं। इसके लिए आप मौली का प्रयोग भी कर सकते हैं।
  • जनेऊ धारण करने के बाद गणेश जी के बाईं और अक्षत रखें और उस पर कलश स्थापित करें। लेकिन उससे पहले कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
  • इसके बाद उस कलश में 5 या 7 आम के पत्ते रखें और नारियल पर कलावा बांधकर तिलक लगाकर कलश पर रखें और गणेश जी के बाईं और स्थापित कर दें।
  • कलश स्थापित करने के बाद गणेश जी को पंचमेवा का भोग लगाएं और उन्हें पांच फल अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी को दूर्वा घास चढ़ाएं।
  • इसके बाद गणेश जी का मोदक, लौंग और इलायची का भोग लगाएं और गणेश जी को एक पान सुपारी में रखकर अर्पित करें।
  • यह सभी चीजें अर्पित करके उन्हें गेंदे के फूलों की माला चढ़ाएं और उन्हें गुलाब के फूल अर्पित करें और गणेश जी का रोली से तिलक करें।
  • रोली से तिलक करने के बाद उस पर अक्षत भी लगाएं। इसके बाद गणेश जी के दाईं और अक्षत रखें।
  • अक्षत रखने के बाद गणेश जी के आगे अखंड दीपक प्रज्वल्लित करें और इसे गणेश जी के दाईं और रख दें। यह अखंड दीपक गणेश विर्सजन तक जलता रहना चाहिए।
  • इसके बाद उनके आगे धूप भी जलाएं। धूप जलाने के बाद गणेश जी की आरती उतारें।
  • अंत में कोई भी कमी या भूल के लिए गणपति महाराज से क्षमा मांगें।

यह क्षमा-प्रार्थना मन्त्र जपें

गणेशपूजने कर्म यत् न्यूनमधिकम कृतम।
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्न अस्तु गणपति सदा मम।।

फिर 10 दिनों तक गणपति महाराज की आराधना करें और इसके बाद उन्हें विधि अनुसार विसर्जित करें। ऐसा करके आप अपने सारे संकटों को दूर और विघ्नहर्ता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

विशेष : 10 दिन तक नियमित समय पर आरती करें। अपनी सुविधानुसार समय को घटाएं या बढ़ाएं नहीं। गणेश जी प्रतीक्षा करना कतई पसंद नहीं करते हैं। उन्हें समय पर प्रसाद और आरती से प्रसन्न करें।

भगवान श्री गणेश स्थापना शुभ मुहूर्त:

इस बार 22 अगस्त 2020, शनिवार के दिन श्रीगणपति की पूजा के लिए दोपहर में 02 घंटे 36 मिनट का समय है।

हम दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट के मध्य विघ्नहर्ता विनायक की पूजा कर सकते हैं।

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