इस गांव के परुषों से आकर्षित होकर सात समुंदर पार से आती हैं विदेशी युवतियां, चाहत है आर्यन वंशज पाने की

लद्दाख़। संतान के लिए विदेशी युवतियां हर साल बड़ी संख्या में लद्दाख़ पहुंच रही हैं। बच्चों के लिए विदेशी युवतियों के यहां आने की एक खास वजह है। ये युवतियां सिर्फ प्रेग्नेन्सी के लिए यूरोपिया देशों की युवतियां लद्दाख़ पहुंच रही हैं, लेकिन इसमें एक राज छिपा है।

लद्दाख़ में आर्यन वंशज रहते हैं। आर्यन का नाम सुनते ही छह फुट लंबी कदकाटी और नीली आंखों वाले पुरुषों की याद आती है। आर्यन वंशज पाने के लिए यूरोपिय युवतियां हर साल सैकड़ों की तादाद में लद्दाख़ पहुंच रही हैं। जर्मनी, फ्रांस, स्पेन से युवतियां यहां आकर छह फुट लंबे और ताकतवर दिखाई देने वाले आर्यन लड़कों के साथ सेक्स कर आर्यन वंशज की संतानों को जन्म दे रही हैं।

सिर्फ संतान के लिए विदेशी युवतियों के यहां पहुंचते देख आर्यन वैली को ‘प्रेग्नेन्सी टूरिज्म’ के नाम से भी बुलाया जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक ईसा पूर्व ग्रीक राजा एलेग्जैंडर एक के बाद एक देश को जीतते हुए भारत पहुंचा था। इसी क्रम में सिंधू घाटी तक पहुंचे एलेग्जैंडर उससे आगे नहीं बढ़ा और वहीं से वापस लौट गया।

परंतु उस वक्त उसके साथ पहुंची सेना में कुछ लोग सिंधू घाटी के पास ही रह गए। तब से सिंधू घाटी में रह रहे इन्हीं लोगों को आखिरी आर्यन कहा जाता है। लद्दाख़ स्थित पांच गांवों में आखिरी आर्यन रह रहे हैं और ये सभी गांव नियंत्रण रेखा के करीब हैं।

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