सिविल मैरिज : विवाह, दुनिया के इन देशों में है अलग धर्म में शादी करने की है मनाही, बड़े ही सख्त हैं कानून

नई दिल्ली। इन दिनों देश में लव जिहाद पर बहस छिड़ी हुई है, इसी बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने धर्म परिवर्तन से जुड़ा अध्यादेश पारित कर दिया है। इस अध्यादेश में लव जिहाद का जिक्र नहीं है लेकिन प्रावधान ऐसे हैं कि अगर कोई धर्म छुपाकर या किसी लड़की का जबरन धर्मांतरण कराता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10साल की जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। प्रस्ताव के मुताबिक, गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा।

इस कानून के पास होते ही उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां लव जिहाद जुर्म हो गया है। हालांकि इस कानून को लेकर देशभर में बहस शुरू हो चुकी है। लेकिन क्या आपको पता है लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने वाला यूपी देश का पहला राज्य तो जरूर है लेकिन दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां दो धर्मों के लोगों के बीच शादी करना गैरकानूनी है। इन देशों में ‘सिविल मैरिज’ यानी अलग-अलग धर्मों के लोगों में शादी का प्रावधान नहीं है। आइए, जानते हैं दुनिया के ऐसे देशों और वहां के नियमों के बारे में।

कौन – कौन हैं वो देश जहां सिविल मैरिज की है मनाही
सबसे पहले बात करते हैं अरब और मध्यपूर्व के देशों के बारे में क्योंकि ज़्यादातर अरब और मध्य पूर्व के देशो में सिविल मैरिएज की इजाजत नहीं है। इनमें मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, यूएई, सऊदी अरब, कतर, यमन, ईरान, लेबनान, इज़राइल, लीबिया, मॉरिटैनिया और इंडोनेशिया ऐसे देश हैं, जहां सिविल मैरिज यानी अलग धर्म में शादी करने पर मनाही है।

इन तीन देशो में सख्त हैं रूल्स
इजराइल, सीरिया और लेबनान जैसे देश इस्लाम, ईसाई, यहूदी जैसे धर्मों को तो मान्यता देते हैं लेकिन आपस में एक ही धर्म में ही शादी करने की इजाजत है। इंडोनेशिया में भी दूसरे धर्म में शादी करने की मनाही है।तकरीबन चार साल पहले इंडोनेशिया में मुस्लिम युवक राशिद और ईसाई युवती जूलियट की शादी का मामला चर्चा में आया था। बगैर धर्म परिवर्तन किए वहां एक मुस्लिम और एक ईसाई की शादी नहीं हो पाई थी। सीरिया और लेबनान में तो रूल काफी सख्त हैं। इन देशों में तो दो धर्मों के बीच शादी की मान्यता नहीं ही है, विदेश में भी हुए अंतर्धार्मिक शादियां भी करने की मनाही है।

मिस्त्र में विशेष परिस्थियों में ही विदेशियों को है इजाजत
मिस्र में कुछ खास परिस्थितियों में ही, जैसे विदेश के लोगों को सिविल मैरिज की इजाजत है, लेकिन शर्तें इतनी पेचीदा है कि लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। विदेशियों को उनके दूतावास से जरूरी डॉक्यूमेट मुहैया इक्कठे करने पड़ते हैं। हालांकि ये काफी टिफिकल और भागदौड़ वाली होती हैं। ऐसे सख्त रूल्स को लागू करने के पीछे का मकसद साफ है कि इस प्रकार की शादियां ना हो सके।

दुनिया के इन देशों में भी है कई मुश्किलें
मलेशिया की बात करें तो मुस्लिमों को अन्य धर्म के लोगों से शादी करने की मनाही है। यहां केवल गैर मुस्लिमों के लिए ही सिविल मैरिज का प्रावधान हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान, कुवैत, बहरीन जैसे देशों में भी सिर्फ विदेशियों को अलग धर्म में शादी कर सकते हैं। इनके अलावा मोरक्को, पाकिस्तान, अल्जीरिया, बर्मा, बांग्लादेश, सोमालिया, ओमान और ट्यूनीशिया जैसे देशों में भी अलग धर्म में शादी को लेकर राह सरल नहीं है।

गौरतलब है कि इस्लामिक कानून मानने वाले ऐसे 29 देश हैं, जो दो मजहबों के बीच शादी को मान्यता नहीं देते हैं। इनके साथ-साथ वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी भी शामिल हैं, जिसमें मुस्लिमों को दूसरे मजहबों में शादी की मनाही है। ईरान और इराक में ये नियम काफी सख्त हैं और अगर कपल में से एक की धार्मिक मान्यता मुस्लिम न हो, तो उन्हें अलग कर दिया जाता है।

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