नई दिल्ली। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज है। यह खंडग्रास होगा और भारत में दिखाई नहीं देगा। इस वजह से ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। फिर भी ज्योतिष में माना जाता है कि ग्रहण का असर व्यक्ति के जीवन पर जरूर पड़ता है। इसलिए हम आपको बता रहे हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान हमें क्या करना चाहिए, जिससे इसका प्रभाव कम हो सके और किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर में न आए।
सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा। भारतीय समय के अनुसार ग्रहण 14 दिसंबर को शाम 7 बजकर 3 मिनट पर शुरू होकर देर रात 12 बजकर 23 मिनट तक चलेगा। इस सूर्य ग्रहण के दौरान गुरु चंडाल योग भी बन रहा है। वहीं राहु की दृष्टि देवगुरु बृहस्पति पर पड़ रही है। ऐसे में जिन लोगों की जन्म कुंडली में गुरु-चंडाल योग है उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
सबसे पहले तो ये जान लें कि ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें अथवा ग्रहण के प्रभावों से बचने के लिए सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का जप करना लाभदायक होता है। इससे आपके ऊपर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। सूर्य ग्रह का बीज मंत्र है – ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
ग्रहण के समाप्त होने के तुरंत बाद गंगा जल से स्नान करना चाहिए। अगर नदी के घाट पर न जा सकें तो कोई बात नहीं, घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर नहा लें। ऐसा करने से ग्रहण के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलेगी। स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। उसके बाद ही अन्य कार्य कार्य करें। ग्रहण समाप्ति के बाद पवित्र तीर्थस्थलों पर पवित्र नदी में डुबकी भी लगाई जाती है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव जरूर करें। घर के मंदिर में मूर्तियों पर भी गंगा जल छिड़कें। घर की साफ-सफाई करें, पोछा लगाएं। इस प्रकार आपके घर से ग्रहण की काली छाया दूर हो जाएगी।
ग्रहण खत्म होने पर पूजा-पाठ करें। घर के मंदिर में दीप जलाकर ईश्वर का ध्यान लगाएं। यदि आसपास मंदिर है तो वहां जाकर भी पूजा करें और गरीब लोगों को दान-दक्षिणा दें। मान्यता यह भी है कि ग्रहण खत्म होने पर गाय को रोटी खिलाने से अच्छा फल प्राप्त होता है। ग्रहण खत्म होने के बाद अमावस्या तिथि के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान कर सकते हैं।