नवरात्रि विशेष 2020 : नवरात्रि में विधि-विधान से पूजी जाने वाली देवी दुर्गा कौन हैं और कैसे पड़ा उनका यह नाम, पढ़ें माता के अवतार की पौराणिक कहानी

धर्म डेक्स। नवरात्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर दिन शनिवार से हो रहा है। इस दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा विधि विधान से शुरू हो जाएगी। नवरात्रि में नव दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन को घटस्थापना या प्रथमा के नाम से जाना जाता है। यह वह दिन है जब लोग देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं। अलग-अलग नामों वाली देवियां माता दुर्गा की अवतार मानी जाती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि देवी दुर्गा का नाम दुर्गा कैसे पड़ा।
शिवपुराण के अनुसार यह है पौराणिक कहानी।

शिवपुराण में बताया गया है कि एकाक्षर ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म भगवान सदाशिव ने अपने विग्रह यानी शरीर से शक्ति का सृजन किया। उस भगवान सदाशिव की पराशक्ति को शक्ति अंबिका कहा गया है, जो गुणवती माया, बुद्धि की जननी, विकाररहित तथा प्रधान प्रकृति हैं। शक्ति अंबिका की आठ भुजाएं हैं, वह अनेक अस्त्रों से युक्त हैं। वह भगवान सदाशिव की पत्नी हैं। सदाशिव उनके बिना अधूरे हैं। असुर हिरण्याक्ष के वंश में एक शक्तिशाली दैत्य ने जन्म लिया था, जिसका नाम दुर्गमासुर था। वह बड़ा ही बलशाली था। उसके अत्याचार से सब भयभीत थे। देवता भी डरने लगे थे। एक दिन उसने स्वर्ग पर ही आक्रमण कर दिया। देवताओं के राजा इंद्र समेत सभी देव स्वर्ग छोड़कर भाग गए। उसके समक्ष उनकी शक्तियां किसी काम की न थीं।

स्वर्ग पर अब दुर्गमासुर का अधिकार हो गया था। सभी देवताओं ने अपनी जान बचाने के लिए गुफाओं में शरण ले ली थी। वे दुर्गमासुर को स्वर्ग से कैसे भगाएं और उसे परास्त कैसे किया जाए, यह विकट समस्या थी। तब देवताओं ने आदिशक्ति अंबिका की आराधना करने का निर्णय लिया। सभी देवता मां अंबिका की आराधना करने लगे। उनके तप से प्रसन्न होकर मां अंबिका ने देवताओं को दुर्गमासुर से निर्भय होने का आशीष दिया।

इस घटना के बारे में दुर्गमासुर को भी जानकारी हो गई। गुप्तचरों ने बताया कि मां अंबिका ने देवताओं को निर्भय होने का वरदान दिया है। इससे दुर्गमासुर क्रोधित हो गया और अपने बल के अहंकार में चूर होकर आदिशक्ति को चुनौती देने चल पड़ा। वह अपने सभी अस्त्र-शस्त्र और दैत्य सेना के साथ मां अंबिका को युद्ध के लिए ललकारा। तब मां अंबिका प्रकट हुईं, फिर उन्होंने दैत्य सेना को तहस-नहस कर दिया। दुर्गमासुर और मां अंबिका में भीषण युद्ध हुआ। इसके पश्चात मां अंबिका ने दुर्गमासुर का वध कर दिया। दुर्गमासुर के वध के कारण ही आदिशक्ति अंबिका मां दुर्गा के नाम से लोकप्रिय हो गईं। तब से उनका एक नाम देवी दुर्गा भी हो गया।

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